
झांसी कस्बा समथर में रहने बाली एक गरीब सज्जो उर्फ शाहजहां जिसकी ससुराल कस्बा के ग्राम साकिन में है जिसकी शादी करीब सन् 1982 में हुई थी शादी के 5 साल सब कुछ ठीक चला लेकिन उसके बाद पति पप्पू उर्फ मुबारक शाह को अईयासी व नसा खोरी की लत लग गई जिसका विरोध पत्नी सज्जो ने किया तो उसने अपनी पत्नी और बढ़े लड़के आशिक को घर से निकाल दिया सज्जो अपने माएके समथर अपनी बैबा मां सलीमन के यहां महनत मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करने लगी बड़ा लड़का आशिक जिसकी उम्र करीब 12 साल को मां ने पढ़ने के लिए बहार रखा लेकिन बो वहां से बुरी लत में उलझ गया और अपने बाप के ही जैसे शराब खोरी व कई जगह चोरी की बार दात को अन्जाम देने लगा तो मां ने उसकी थाना समथर व तहसील मोंठ में शिक़ायती पत्र देकर अपनी सम्पत्ति से अलग कर दिया और मां अपने छोटे बेटे आरिफ की निगरानी में लग गई जो की छोटा बेटा आरिफ अपनी मां के साथ महनत मजदूरी करने लगा अफसोस गरीबी का अब बड़ा लड़का आशिक कहीं पर भी कुछ करे वो अपने कार्यनामो का स्वयं जिम्मेदार हो और कानून को ज