दरभंगा जिले के उघरा गांव में जल संकट की समस्या भयावह रूप ले चुकी है. गांव के 90% चापाकल वर्षों से बंद पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों को पेयजल की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या ने गांव के लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाला है. गांव की एक निवासी, निर्मला देवी, को प्रतिदिन दूर-दूर से पानी लाने के कारण हाथ की कोहनी में इतनी समस्या हो गई कि उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा.
स्थानीय सरपंच राजा राम झा के अनुसार, गांव में करीब 1000 की आबादी है, लेकिन 1500 चापाकल लगे होने के बावजूद कोई भी काम नहीं कर रहा है. इस गांव को पीएचइडी विभाग ने गोद लिया है, लेकिन इसके बावजूद जल संकट के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. पिछले 4-5 वर्षों से यह समस्या लगातार बनी हुई है, और ग्रामीणों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है.
गांव के लोगों के लिए साफ पानी मिलना अब एक सपना बन चुका है. तालाबों का पानी भी इतना दूषित हो चुका है कि उससे नहाने के कारण लोगों को त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं. निर्मला देवी बताती हैं कि दूषित पानी का इस्तेमाल करने से उन्हें लगातार स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है.
गांव के लोग इस समस्या के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं और भूख हड़ताल तक कर चुके हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. सबसे चिंता की बात यह है कि गांव का जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि किसी भी चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है. सरकार और विशेषज्ञों को इस पर ध्यान देकर रिसर्च करनी चाहिए कि आखिर एक साथ इतने सारे चापाकल क्यों बंद हो गए और इस गंभीर जल संकट का समाधान कैसे निकाला जा सकता है. ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, और वे जल्द से जल्द इस समस्या का स्थायी हल चाहते हैं.