
देश मे आम चुनाव खत्म हो चुके है। नतीजो से साफ है कि किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत सरकार चलाने के लिए नही मिला। कांग्रेस पार्टी को केवल 99सीटे मिली है। इडियागठबंधन जो कई अनेक दलो का गठबंधन है को 233सीटे मिली। भाजपा को 240 सीटे व चुनाव पूर्व गठबंधन एनडीए को 291 सीटे मिली है ।
इस तरह से एक अरसे के बाद देश मे फिर से गठबंधन वाली राजनीतिक सरकार का समय फिर से लौट आया है। 2014-2029मे पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने वाली भाजपा को फिर से सकार चलाने के लिए कई दलो को साथ मे लेकर चलना होगा। ऐसे मे सरकार बन भी गई तो क्या पूरे पांच साल निर्विघ्न चल पायेगी। या दूसरे दल के नेताओ के लालच स्वार्थ की राजनीति के कारण बीच मे ही साथ छोडने का भय रहेगा। भाजपा को भी अन्य दलो के ऊपर निर्भर होना पड़ेगा। विपक्ष पूरा कोशिश करेगा सत्तारूढ होने का।
ऐसे मे अन्य दलो के नेता लोभवश या स्वार्थ परायण तावश अगर साथ छोडते है तो फिर वर्तमान सरकार मुश्किल मे आ सकती है। क्या भाजपा के साथी दल मिलकर अपने लोभ लालच स्वार्थ को त्याग कर देश हित मे सरकार चलाने मे पूरे पांच साल साथ रहेगे? अन्यथा देश को देश को फिर से बीच मे ही चुनाव के बोझ उठाने पर मजबूर कर देगे। पूर्ण बहुमत वाली सरकार देश के आर्थिक समाजिक राजनैतिक विकाश के लिए मजबूत होती है। गठबंधन की सरकार बीच मे गिरने का भय रहता है। जिससे देश मे चुनाव का आर्थिक बोझ पडता है। अब ये तो समय ही तय कर सकता है।